ब्लॉग

20 मई
2023
आस्तिक नास्तिक

एक गहन चिंतन को साधारण सी शैली में हम आपके सामने रखते हैं, कृपया एक बार उस पर ध्यान दें। बड़े से बड़ा नास्तिक ( ईश्वर को न मानने वाला ) भी अंततः आस्तिक ( ईश्वर को मानने वाला ) ही सिद्ध होता है । यह वाक्य अपने आप में असम्भव सा दिखता है, लेकिन

6 अप्रैल
2022
गङ्गा – भारत की जीवन रेखा

भारतीय संस्कृति में गङ्गा  को सबसे महत्वपूर्ण नदी माना जाता है क्योंकि यह उत्तर भारत का जीवन स्रोत है।  उत्तराखंड में गङ्गोत्री ग्लेशियर (गौमुख) नदी का स्रोत है, जो अंततः उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तराखंड सहित पांच राज्यों के माध्यम से समुद्र में बहती है। जिस राज्य में यह गुजरती है, गङ्गा 

24 जनवरी
2021
वैदिक संस्कृति  और सदाचार

वैदिक संस्कृति सदाचार को जितना महत्व प्रदान करती है उतना अन्य उपादानोंको नहीं । चाहे हम अद्वैत को माने चाहे द्वैत को, यदि हम सदाचारी नहीं है तो मान्यता निरर्थक है – बालू में से तेल निकालने के समान है । और यदि हम सदाचारी है तो ईश्वर में विश्वास या अविश्वास का प्रश्न उठेगा

20 नवम्बर
2020
वेद ही सदाचारके मुख्य निर्णायक

वेद कहते हैं कि यदि कोई मनुष्य साङ्ग समग्र वेदोंमें पारंगत हो, पर यदि वह सदाचार सम्पन्न नहीं  है तो वेद उसकी रक्षा नहीं करेंगे । वेद दुराचारी मनुष्य का वैसे ही परित्याग कर देते हैं, जैसे पक्षादि सर्वाङ्गपूर्ण नवशक्ति सम्पन्न पक्षी-शावक अपने घोंसलेका परित्याग कर देते हैं । प्राचीन ऋषियों ने अपनी स्मृतियों में

9 अगस्त
2020
श्रीरामचरित मानस के प्रणेता: गोस्वामी श्रीतुलसीदास

जीव और ईश का एक अनोखा जोड़ा है, जो कभी एक दूसरे से न अलग हुआ है और न कभी हो सकता है । अलग-अलग स्थावर-जंगम आदि शरीरों में रहने वाला ‘जीव’ और समष्टि-व्यष्टि रूप से कण-कण में व्यापक सबका मूल तत्त्व ‘ईश्वर’ है । जीव का परम पुरुषार्थ एक मात्र भगवत्प्रेम अर्थात् ईश्वर से

Vaidik Sutra