बड़ों को सम्मान देने वाला यशस्वी होता है ।

बड़ों को सम्मान देने वाला यशस्वी होता है ।

अपनी समृद्धि के विस्तार में किसी प्रकार का प्रमाद ( आलस्य ) मत करो । ज्ञान के विस्तार में, विद्याध्ययन करने में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए । जो अपने जीवन से सीखा, पुस्तकों से सीखा, गुरुओं से सीखा, उस ज्ञान को अपने काम में लगाओ । पढ़ना, समझाना और जीवन में उतारना ही ज्ञान की सही उपयोगिता है । जो तुम्हारे बड़े हैं, पितर हैंं और जो देव हैं, उनके प्रति जो तुम्हारा कर्तव्य है उसमें किसी प्रकार की बाधा और नागा ( अंतराल ) मत आने देना । मनुष्य की भक्ति परवान तब चढ़ती है जब व्यक्ति में शुद्धता होती है ।

जो मनुष्य निरन्तर भक्ति में बैठता है तो उसकी भक्ति में विशेषता आने लगती है । स्वास्थ्य के सम्बन्ध में भी यही नियम लागू होता है । व्यक्ति की आहारचर्या और दिनचर्या नियमित है तो व्यक्ति तेजस्वी और ऊर्जावान बनता है । भक्ति में भी यही नियम लागू है कि आप निरन्तर नियम से बैठें और अपने नियम को न तोड़ें और किसी तरह का आलस्य न करें । आलस्य आपकी समस्यओं को बढ़ायेगा, आलस्य ही लापरवाही को जन्म देकर व्यक्ति की उन्नति को रोकता है ।

याज्ञिक कर्म करना चाहिए, सेवा के भी कर्म करना चाहिए । यह सब नियमपूर्वक ही करें । अपने घर में जो कमाई लायें उसमें से कुछ हिस्सा निकालकर अच्छे कार्यों में लगाइए । महीने में एक दिन तो भगवान् के कार्यों में लगाइए । किसी मंदिर, किसी तीर्थस्थान में जाकर सेवा करिये, झाड़ू लगाइए । अस्पतालों में जाकर दिन-दुखियों की सेवा करके आइए । पैसा देना अलग बात है लेकिन सेवा से अपने हाथों को पवित्र बनाइए । अपने शरीर से जो सेवा करोगे इससे बड़ा पुण्य और भक्ति नहीं ।

अपने हजार काम अपने लिए हम करते हैं लेकिन परोपकार का काम करने में पीछे रहते है । परोपकार और भगवान् के प्रति जब व्यक्ति लापरवाही करता हैउसी समय व्यक्ति गलतियां करता है ।

जीवन में सदैव अपने से बड़ों का सम्मान करो और सद् गुणों को अपनाओ । जो व्यक्ति बड़ों का सम्मान करता है उसकी आयु बढ़ती हैं । बड़े लोग आयु बढ़ने का आशीर्वाद देते हैं, विद्या बढ़ती है और बड़े-बूढ़ों का अनुभव काम आता है, व्यक्ति यशस्वी होता है । जब बड़े किसी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हैं तो भावनाएं तरङ्गित होकर माथे पर लगते हैं, इससे भी व्यक्ति की आयु बढ़ती है । इसलिए सदैव बड़े, बुजुर्गी का सम्मान, सुख-शान्ति देता है ।

माता-पिता और गुरु देवता तुल्य हैं । मां और बड़े बुजुर्गों का कभी अपमान मत करना, उनका मान-सम्मान करो, खुशी दो । जीवन में सद् गुणों को अपनाइये, इससे आपका लोक और परलोक दोनों सुधरेगा । जब आप बड़े-बूढ़ों को सम्मान और छोटों को प्यार और आशीर्वाद दोगे तो तुम यशस्वी बनोगे ।

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Vaidik Sutra