हे परमात्मा ! मेरे हृदय में भक्तिभाव और कर्मण्यता का विकास हो । मुझे आरोग्य और खुशहाल जीवन प्राप्त हो । मुझे बाह्य और आंतरिक दोनों तरफ से पवित्र बनाइए । ( अथर्व वेद ६/१९/२ )
2019
हे परमात्मा ! मेरे हृदय में भक्तिभाव और कर्मण्यता का विकास हो । मुझे आरोग्य और खुशहाल जीवन प्राप्त हो । मुझे बाह्य और आंतरिक दोनों तरफ से पवित्र बनाइए । ( अथर्व वेद ६/१९/२ )
परमात्मा ने इस संसार में सभी को दीर्घायु बनाया है । लेकिन अनुचित आहार-विहार द्वारा अपने आयु को क्षय करता है आज का मानव । इसलिए नियम पूर्वक जीवन जीते हुए पूर्ण आयु प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म है । ( ऋग्वेद १०/१८/६ )
अपनी समृद्धि के विस्तार में किसी प्रकार का प्रमाद ( आलस्य ) मत करो । ज्ञान के विस्तार में, विद्याध्ययन करने में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए ।
परमात्मा अनादि है, जिनको जान लेने पर कुछ भी जानना शेष नहीं रह जाता है । इसी भावना को भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को माध्यम बनाकर कहा -“अर्जुन ! तुम मेरे परम प्रिय हो, मैं तुम्हारे हित के लिए कहता हूँ, सुनो “मेरे प्रगट होने को न देवता जानते है न महर्षि, क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी आदि हूँ ।
परमात्मा की विभिन्न शक्तियां ही अनेक देवताओं के नाम से जानी जाती है लेकिन वह एक ही है । ( ऋग्वेद १/१६४/४६ )