श्रीदेवी भागवत

शक्ति जो सृष्टि का सृजन, पालन तथा संहार करती है । ब्रह्मा सृष्टि का सृजन, भगवान् विष्णु पालन तथा शिव संहार भी शक्ति से ही करते हैं । शक्ति के अनेक रूप हो सकते हैं - माँ, बहन, पत्नी आदि । देवी भागवत शक्ति की महिमा वर्णन करने वाला अद्भुत शास्त्र है, जिसमें अनेक शक्ति - पीठों का वर्णन किया गया है ।

अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्धयम् ।
पपरोपकारः पुण्याय पापाय परपीड़नम् ।।

Ashtaadashapuraaneshu vyaasasy chhadmyam |
Paparopakaar: puny paapaay parapeedanam ||

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इसमें १२ स्कन्ध तथा ३१८ अध्याय हैं । किस प्रकार शक्ति का दुर्गा के रूप में आविर्भाव हुआ तथा किन – किन रुपों में प्रकट होकर देवी ने भक्तों के कौन – कौन से कार्य सिद्ध किये, इन सबके वर्णन के साथ नवरात्र का आरम्भ तथा भगवान् श्रीकृष्ण की दिव्यता का सुन्दर वर्णन भी देवी भागवत में किया गया है ।

देवी की साधना करने वाले साधकों को साक्त कहा जाता है । यह ग्रन्थ साक्त उपासकों का कण्ठहार है ।

ब्रह्मा विष्णु तथा भगवान् शङ्कर भी परीक्षा की दृष्टि से ही सही, किसी न किसी के द्वार पर तो भिक्षा मांगने गए ही हैं । परन्तु; पराम्बा जगदम्बा आज तक किसी के द्वार पर भिक्षा माँगने नही गयी हैं । आद्यशंकराचार्य ने जब शक्ति का खंडन करना चाहा, तब पराम्बा जगदम्बा ने उन्हें शक्ति का महत्व बताया । तदोपरान्त क्षमापराधन स्तोत्र के माध्यम से देवी से आद्यशंकराचार्य ने क्षमा माँगते हुए उनकी स्तुति की है ।

इस दिव्य ग्रन्थ में पूर्ण रूप से शक्ति का वैशिष्ट्य तथा अनेकानेक कार्यों की सिद्धि हेतु देवी के विभिन्न स्तोत्र, कवच तथा मन्त्र व तन्त्र भाग भी वर्णित है । विशेष रूप से श्रीदेवी भागवत की नवदिवसीय कथा करने का विधान है ।

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