सहभगिता
राम रोटी सेवा
नर में नारायण का दर्शन
जब कोई भूखा सोता है, तब मानवता रोती है । हर परोसी हुई रोटी में केवल अन्न नहीं, बल्कि; हमारा प्रेम, करुणा और ईश्वर का अंश होता है ।
यदि आपके भीतर भी किसी भूखे की पेट भरने की चाह है, तो आप इस सेवा में सहभागी बन सकते हैं ।
गौ माता की गुड़ सेवा
श्रद्धा की मिठास
गौ माता पशु नहीं, हमारी संस्कृति की माँ हैं । गुड़ अर्पित कर हम न केवल उनके तन को तृप्त करते हैं, बल्कि अपनी आत्मा को भी मधुरता से भरते हैं ।
चारा देना केवल गौ माता को आहार नहीं, बल्कि; हमारे संस्कारों को पुनर्जीवित करने का आधार है । प्रत्येक मुट्ठी चारा, गौ माता के आशीर्वाद की पात्रता का द्योतक है ।
यदि आपके मन में गौ सेवा की सच्ची भावना है, तो यह अवसर आपके लिए है । आइए, इस स्नेह भरी सेवा से जुड़कर गौ भक्ति को आत्मसात् करें ।
शिक्षा व संस्कार की सेवा
एक दीप, एक दिशा
प्रत्येक बच्चे का शिक्षा पर अधिकार है, परन्तु; किन्हीं कारणों से वे अपनी पढ़ाई नहीं कर पाते । शिक्षा देना, केवल किताबें देना नहीं, बल्कि; उनकी पूरी दुनिया को रोशनी देना है ।
हर शब्द, हर पाठ उसकी ज़िंदगी को एक नई ऊँचाई दे सकता है । एक को खिलाया हुआ अन्न केवल एक का पेट भरता है, लेकिन, एक को दी हुई शिक्षा पूरे परिवार का भरण-पोषण करने की योग्यता प्रदान करती है ।
शिक्षा के साथ बहुत महत्वपूर्ण अंग है - 'संस्कार'…. संस्कार, शास्त्रोक्त ही होते हैं, मनमाने नहीं । आज प्रायः विद्यालयों में शिक्षा तो दिखती है, पर संस्कारों का अभाव दिखाई देता है ।

सुविचार
हमें जीवन की प्रत्येक घटना से कोई ना कोई सकारात्मक सीख अवश्य लेनी चाहिए ।
जीवन रूपी वृक्ष में विनम्रता ही वह फल है, जो अभिमान रूपी डाल को झुकाये रखता है ।
सद्गुरु वास्तविक माध्यम है, वास्तविक मंज़िल ईश्वर है ।
मुक्ति देने के बाद भगवान् मुक्त हो जाते हैं, परन्तु भक्ति देने के बाद भगवान बंधन में आ जाते हैं ।
जीवन की सार्थकता ही जीवन की सरलता में है ।
जिसके जीवन में झुकना नहीं हैं, उसके जीवन में टूटना निश्चित हैं ।
मृत्यु की याद ही संसार से वैराग्य और भगवान् से अनुराग उत्पन्न करती हैं ।
जिंदगी में इंसान की सबसे बेहतरीन पहचान उसकी अपनी मुस्कुराहट है ।
जिस कार्य के लिए अपनी आत्मा भीतर से टोक दे, उसे आगे बढ़ाने से पहले ही रोक देना चाहिये ।
विश्वास रखो कि ईश्वर ही हमारे परम हितैषी हैं ।
किसी भी शास्त्र का ज्ञान स्वयं पढ़कर के नहीं हो सकता। बल्कि; गुरूमुख से ही प्राप्त होता है ।
माता पिता की आज्ञा का सहर्ष पालन करना ही उनकी सच्ची सेवा है ।
सत्संग के अभाव और कुसंग के प्रभाव से ही, जीवन में दोषों का आविर्भाव होता है ।
बीते पल लौटकर कभी वापस नहीं आते, पर; उनकी यादें सदा साथ रहती हैं ।
भीतर के क्रोध को नहीं, बोध को जगाओ, तभी सच्चा जागना है। वरना, सुबह उठने पर आँख तो सभी खोलते हैं ।
अनुभव बाहर से प्राप्त होता है परन्तु अनुभूति भीतर की वस्तु है और भगवान् अनुभव का नहीं, अनुभूति का विषय है ।
मेरे लिए इस बात का महत्व नहीं है कि ईश्वर हमारे पक्ष में है या नहीं, मेरे लिए अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मैं ईश्वर के पक्ष में रहूं, क्योंकि ईश्वर सदैव सही होता है ।
जीवन में वापस देखो, तो अनुभव होगा। आगे देखो, आशा चारों ओर देखिए और परमात्मा सत्य और आत्म विश्वास के लिए अपने भीतर देखने के लिए ।